जब भी हम कुछ करते हैं तो सबसे पहले हमको अपनी अंतरात्मा का सामना करना पड़ता है. यदि हम अपनी अंतरात्मा को संतुष्ट कर सकें तो हमे बिना भय के आगे बढ़ना चाहिए.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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