जीवन में हम कई रिश्तों से घीरे होते हैं।  जिनके बीच रह कर हम सुख दुःख का  अनुभव करते हैं।  मनुष्य ही नहीं वरन हम पशु पक्षियों पेड़ पौधे सभी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं।

क्यों हम दूसरों के साथ संबंध बनाने के इच्छुक हैं। इन संबंधों के ज़रिये हम उस परम शक्ति को खोजने प्रायास कारते हैं। ईश्वर परमात्मा स्वरुप हर जीव में वास करते हैं। यही कारण है कि हम उस परम शक्ति को खोजते हुए इन संबंधों में बंध जाते हैं।

किंतु हम इस आत्मिक आकर्षण को पहचान नहीं पाते। अतः संबंधों को भौतिक धरातल पर है सवीकार करते हैं। यही कारण है कि हम मोह, माया, स्वार्थ, वैमनस्य के भावों से बंधे रहते हैं और कभी सुख  तो कभी दुःख भोगते हैं।

ईश्वर हमारे जीवन की आधारशिला है। जब हम सारे संबंधों का आधार उन्हें मान कर आगे बढ़ेंगे तो मोह, माया, स्वार्थ, वैमनस्य से दूर रहेंगे।

Comments

Popular posts from this blog