हमारे भीतर दिव्य शक्ति आत्मा के रूप में विद्यमान है। शरीर इस आत्मा का वाहन है। इसकी रक्षा करें। सुद्ध ह्रदय से हम उस दिव्य शक्ति को अनुभव कर सकते हैं।

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