अपने सम्पूर्ण जीवन में हम सुख दुःख, हानि लाभ, मिलन विछोह, पसंद नापसंद, प्रेम घृणा, प्रसंशा निंदा, इत्यादि विरोधी भावों के मध्य झूलते रहते हैं. परन्तु शांति इन सभी भावों में समता बनाने में है.

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