जीवन का उद्देश्य क्रमिक विकास करना है. हमें चाहिए की हम अज्ञान को त्याग कर ज्ञान की शरण लें, असत्य से सत्य की ओर बढ़ें, अपनी दुर्बलताओं और समस्त भय को त्याग कर सबल और निर्भय बनें.
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