हर व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहता है किन्तु कोई नहीं जनता की वास्तविक खुशी कहाँ है. अतः स्वयं को प्रसन्न करने के हमारे प्रयास अक्सर हमें दुःख देते हैं.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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