परिस्तिथियाँ नहीं बल्कि हमारा नजरिया ही हमारे दुखों का कारण है.सकारात्मक सोंच हमें विकट परिस्तिथियों से उबार लेती है.जबकि नकारात्मक सोंच हमें ऐसे भंवर में फंसा देती है जहाँ से उबर पाना मुश्किल होता है.
पिता वह छाया है जो सुरक्षा देता है। वह एक आश्वाशन है।
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